आज भारत के मध्यम वर्गीय और उच्च आय वर्गीय परिवार एक नए सवाल से जूझ रहे हैं।
क्या भारत में रहना अब उतना सुविधाजनक है? क्या दुबई जैसे देश बेहतर विकल्प प्रदान कर रहे हैं?
दुबई आकर्षण की वजह से हजारों भारतीय अपनी जन्मभूमि छोड़ने को तैयार हैं1।
हाल ही में यूएई सरकार द्वारा शुरू की गई गोल्डन वीजा योजना ने इस बहस को और तेज कर दिया है।
केवल 23 लाख रुपये में लाइफटाइम रेजिडेंसी की सुविधा ने भारतीयों में दुबई आकर्षण को बढ़ाया है।
इसके पीछे कई ठोस कारण हैं जिन्हें समझना जरूरी है।

दुबई आकर्षण – टैक्स फ्री जीवन
भारत छोड़ने का सबसे बड़ा कारण है टैक्स की समस्या।
मध्यम वर्गीय परिवारों पर टैक्स का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। दूसरी तरफ, दुबई में व्यक्तिगत आयकर बिल्कुल नहीं लगता।
भारत में 2019 के बाद से कॉर्पोरेट टैक्स 30% से घटकर 22% हो गया है।
लेकिन व्यक्तिगत टैक्स में कोई राहत नहीं मिली। नतीजा यह है कि मध्यम वर्गीय लोग कॉर्पोरेट से भी ज्यादा टैक्स दे रहे हैं1।
दुबई में ना केवल आयकर से छूट है बल्कि कैपिटल गेन्स टैक्स भी नहीं लगता।
यही कारण है कि भारतीय निवेशक दुबई आकर्षण की तरफ खिंचे चले आ रहे हैं।
Tax Type | India | UAE |
---|---|---|
Income Tax | Slabs up to 30% (plus surcharge & cess) | 0% for individuals (9% on businesses earning > AED 375,000) |
Corporate Tax | 25.17% (including surcharge & cess) | 9% (effective June 2023) |
GST/VAT | 18% (standard rate) | 5% (standard VAT rate) |
Capital Gains Tax | Short-term: 15-30%Long-term: 10-20% | 0% (no capital gains tax for individuals) |
Dividend Tax | 10% (after exemption up to ₹10 lakh) | 0% (no dividend tax) |
Social Security Tax | 12% employee + 12% employer (Provident Fund) | No mandatory social security for expats; UAE nationals: 17.5% |
Custom Duties | 10%-12% on average | 5% (standard rate) |
Inheritance Tax | No inheritance tax | No inheritance tax |
गोल्डन वीजा – नया दुबई आकर्षण
यूएई की नई गोल्डन वीजा नीति ने भारतीयों के लिए दुबई आकर्षण को और भी बढ़ाया है।
पहले 4.5 करोड़ रुपये का निवेश जरूरी था। अब केवल 23.3 लाख रुपये में लाइफटाइम रेजिडेंसी मिल जाती है।
इस योजना के तहत वीजा धारक अपने परिवार को भी ला सकते हैं।
छह महीने तक बाहर रहने पर भी वीजा की वैधता बनी रहती है।
यदि वीजा धारक की मृत्यु हो जाए तो परिवार को वहीं रहने की अनुमति है1।
दुबई से दिल्ली केवल 4 घंटे की फ्लाइट है। मुंबई से केवल 3 घंटे का सफर है।
यह दुबई आकर्षण को और भी बढ़ाता है क्योंकि भारत से संपर्क बना रहता है।
भारत की समस्याएं – प्रदूषण और बुनियादी ढांचा
भारत की बढ़ती समस्याओं की वजह से भी दुबई आकर्षण बढ़ रहा है।
दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर WHO के मानक से 10 गुना ज्यादा है। PM2.5 की मात्रा 90 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच जाती है।
प्रदूषण के कारण दिल्ली में सालाना 12,000 मौतें होती हैं।
यह कुल मृत्यु दर का 10% है। इससे बचने के लिए लोग दुबई आकर्षण की तरफ देख रहे हैं।
भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता भी चिंताजनक है।
निजी संस्थानों की मोटी फीस और सरकारी सेवाओं की खराब स्थिति ने लोगों का भरोसा उड़ा दिया है। फिर भी टैक्स लगातार बढ़ता जा रहा है1।
नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम जैसे महंगे शहरों में भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।
करोड़ों रुपये के फ्लैट के बाहर गंदगी का अंबार दिखता है। यही कारण है कि अमीर लोग दुबई आकर्षण में अपना भविष्य देख रहे हैं।
मिडिल क्लास का दुबई आकर्षण
भारतीय मध्यम वर्ग अब महसूस कर रहा है कि उसकी मेहनत की कमाई का बड़ा हिस्सा टैक्स में चला जाता है। बदले में मिलने वाली सुविधाएं बेहद निम्न स्तर की हैं। यही कारण है कि दुबई आकर्षण बढ़ता जा रहा है।
दुबई में भारतीय मध्यम वर्गीय कपल्स ने 2-3 प्रॉपर्टी खरीदी हैं। यहां रेंटल यील्ड 6-7% मिलता है और लोन की दर केवल 5% है। यह एक बेहतरीन निवेश अवसर है।
भारत में प्रॉपर्टी खरीदना मध्यम वर्ग के लिए EMI का बोझ बन जाता है। दुबई में वही पैसा बेहतर रिटर्न देता है। यही दुबई आकर्षण का मुख्य कारण है।
वहां की सुरक्षा व्यवस्था, साफ-सफाई और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर मध्यम वर्गीय परिवारों को लुभाता है। अपराध दर बेहद कम है और सामाजिक अशांति नहीं है।
दुबई बनाम भारत – जीवन स्तर की तुलना
भारत और दुबई के जीवन स्तर की तुलना करें तो दुबई आकर्षण समझ आता है। मुंबई की GDP 310 अरब डॉलर है जबकि दुबई की केवल 30 अरब डॉलर। फिर भी जीवन की गुणवत्ता में दुबई आगे है।
मुंबई में रेस्टोरेंट में खाना 400 रुपये में मिलता है। दुबई में वही खाना 910 रुपये में मिलता है। लेकिन सैलरी के अनुपात में यह अंतर काफी कम हो जाता है। दुबई में मिडिल क्लास की सैलरी 6-8 लाख रुपये सालाना होती है।
इंटरनेट की स्पीड और सुविधाओं में भी अंतर साफ दिखता है। भारत में 60 Mbps इंटरनेट 700 रुपये में मिलता है। दुबई में वही स्पीड 7900 रुपये में मिलती है। लेकिन क्वालिटी और रिलायबिलिटी का अंतर बहुत है।
दुबई में 43 लाख से ज्यादा भारतीय रहते हैं। यह दुबई आकर्षण का जीता जागता सबूत है। भारत का दुबई में FDI निवेश 3 अरब डॉलर से ज्यादा हो गया है।
जीवन स्तर की तुलना
शिक्षा की गुणवत्ता भी महत्वपूर्ण फैक्टर है। दुबई में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के स्कूल और कॉलेज हैं। भारत में अच्छी शिक्षा के लिए मोटी फीस देनी पड़ती है या फिर बच्चों को विदेश भेजना पड़ता है।
सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता में भी जमीन आसमान का अंतर है। दुबई में डिजिटलाइजेशन की वजह से सारे काम आसान हो गए हैं। भारत में अभी भी भ्रष्टाचार और देरी की समस्या है।
भविष्य की योजनाओं के लिए भी दुबई आकर्षण बढ़ता जा रहा है। रिटायरमेंट के लिए जो पैसा जरूरी है वह दुबई में बेहतर रिटर्न देता है। टैक्स की बचत से जो पैसा बचता है उससे बेहतर लाइफस्टाइल मिलती है।
हालांकि, यह भी सच है कि दुबई में मेहनती मजदूरों की स्थिति अच्छी नहीं है। लेकिन मध्यम वर्गीय और उच्च आय वर्गीय लोगों के लिए दुबई आकर्षण निर्विवाद है10।
अंततः, भारत से दुबई की तरफ बढ़ता रुझान केवल पैसे की वजह से नहीं है। यह जीवन की गुणवत्ता, सुरक्षा, और भविष्य की बेहतर संभावनाओं की तलाश है। दुबई आकर्षण का यह चलन तब तक जारी रहेगा जब तक भारत अपनी मूलभूत समस्याओं का समाधान नहीं करता।