ऑपरेशन सिंदूर: भारत की वैश्विक पहल का सफर
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में आतंकी हमले के बाद, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से पाकिस्तान को जवाब दिया।
इसके बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया को भारत का पक्ष समझाने के लिए 59 सांसदों को 7 प्रतिनिधिमंडलों में विभाजित किया।
यह कदम आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण था।

प्रतिनिधिमंडलों का गठन और उद्देश्य : वैश्विक समर्थन
प्रतिनिधिमंडलों में विभिन्न दलों के 59 सांसदों के साथ 8 पूर्व राजनयिकों को शामिल किया गया।
इनका मुख्य लक्ष्य था—अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद में पाकिस्तान की भूमिका से अवगत कराना।
इसके अलावा, भारत की सैन्य कार्रवाई के पीछे के तर्कों को स्पष्ट करना भी जरूरी था।
कैसे काम किया प्रतिनिधिमंडलों ने? : वैश्विक समर्थन
प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल ने 33 देशों का दौरा किया, जिसमें अमेरिका, यूरोपीय संघ, और मध्य पूर्व शामिल थे।
उन्होंने स्थानीय मीडिया, संसद सदस्यों, और थिंक टैंक्स के साथ बैठकें कीं।
इस दौरान, पहलगाम हमले के दृश्य और आतंकी ठिकानों के वीडियो भी दिखाए गए।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और चुनौतियाँ
कई देशों ने भारत के कदम का समर्थन किया, लेकिन कुछ ने संयम बरतने की सलाह दी।
पाकिस्तान ने इन प्रयासों को “प्रचार अभियान” बताया, परंतु भारत ने तथ्यों के साथ जवाब दिया।
इसी बीच, अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों ने आतंकवाद की निंदा करते हुए भारत का साथ दिया।

मीडिया कवरेज और जनता की प्रतिक्रिया
भारतीय मीडिया ने इस पहल को “सूचना युद्ध में जीत” बताया6। सोशल मीडिया पर #OperationSindoor ट्रेंड करने लगा, जिससे युवाओं में देशभक्ति की लहर फैली। हालाँकि, विपक्ष ने सरकार पर “अति-आत्मविश्वास” का आरोप लगाया।
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निष्कर्ष: वैश्विक मंच पर भारत की मजबूती
ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल आतंकवाद को चुनौती दी, बल्कि भारत की कूटनीतिक क्षमता को भी उजागर किया। प्रतिनिधिमंडलों की सफलता से स्पष्ट है कि अब भारत वैश्विक नीतियों को प्रभावित करने में सक्षम है। आगे, यह पहल देश की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।
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