इज़राइल का ऑपरेशन राइजिंग लायन
परमाणु तनाव का केंद्र : इज़राइल और ईरान के बीच तनाव जून 2025 में एक नए मोड़ पर पहुंच गया है।
वास्तव में, इज़राइल ने 13 जून को “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के नाम से एक बड़ा हमला शुरू किया, जिसका उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाना था।
इसके अलावा, इस हमले में ईरान के कई सैन्य ठिकानों और परमाणु केंद्रों को भी निशाना बनाया गया। फिर भी, इस हमले में ईरान के कई वरिष्ठ सैन्य कमांडरों और परमाणु वैज्ञानिकों की मौत हो गई।
इसके बाद, ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई की और इज़राइल पर मिसाइलें दागीं।
परमाणु तनाव का केंद्र : परमाणु तनाव का केंद्र
इस्फहान परमाणु सुविधा पर इज़राइल के हमले ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है।
दरअसल, इस्फहान में ईरान के परमाणु कार्यक्रम के कई महत्वपूर्ण हिस्से स्थित हैं।
इसके अतिरिक्त, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी के अनुसार, अब तक चार इमारतों को नुकसान पहुंचा है।
इनमें एक रसायन प्रयोगशाला, यूरेनियम अयस्क प्रसंस्करण संयंत्र, रिएक्टर ईंधन उत्पादन कारखाना और यूरेनियम धातु उत्पादन के लिए एक निर्माणाधीन संयंत्र शामिल हैं।
ईरान की प्रतिक्रिया और जवाबी हमले : परमाणु तनाव का केंद्र
ईरान ने इज़राइल के हमलों के जवाब में कई मिसाइलें और ड्रोन दागे हैं।
हालांकि, इज़राइल के पास दुनिया के सबसे उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों में से एक है।
फिर भी, कुछ ईरानी मिसाइलें इज़राइल के शहरी क्षेत्रों तक पहुंच गईं, जिससे तेल अवीव सहित कई जगहों पर नुकसान हुआ।
इसके अतिरिक्त, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने चेतावनी दी है कि अमेरिका का इस संघर्ष में सक्रिय सैन्य हस्तक्षेप “सभी के लिए बहुत खतरनाक होगा”।
परमाणु वार्ता का भविष्य : परमाणु तनाव का केंद्र
ईरान ने स्पष्ट कर दिया है कि वह तब तक अमेरिका के साथ परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत नहीं करेगा, जब तक इज़राइल के हमले जारी रहेंगे।
वास्तव में, अराघची ने कहा, “ईरान तब तक कूटनीति पर विचार करने के लिए तैयार है, जब तक आक्रमण बंद नहीं होता”।
इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि “ईरान की रक्षा क्षमताएं गैर-परक्राम्य हैं”।
लेकिन, जिनेवा में यूरोपीय विदेश मंत्रियों के साथ चार घंटे की बैठक के बाद भी कोई सफलता नहीं मिली।
परमाणु कार्यक्रम की स्थिति : परमाणु तनाव का केंद्र
ईरान का परमाणु कार्यक्रम इस संघर्ष का मुख्य मुद्दा है।
दरअसल, IAEA की मई 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने 60% शुद्धता वाले 408 किलोग्राम से अधिक यूरेनियम जमा किया है।
यह मात्रा, अगर और अधिक संवर्धित की जाए, तो लगभग नौ परमाणु हथियारों के लिए पर्याप्त है।
इसके अतिरिक्त, ईरान ने कई अघोषित परमाणु स्थलों पर यूरेनियम के निशान के बारे में स्पष्टीकरण देने में असहयोग किया है।
परमाणु सुविधाओं पर हमले
इज़राइल के हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गंभीर नुकसान पहुंचाया है।
वास्तव में, इज़राइल के विदेश मंत्री गिडियन सार के अनुसार, इन हमलों ने ईरान के परमाणु योजनाओं को कम से कम दो साल पीछे धकेल दिया है।
इसके अलावा, इज़राइल ने नतांज़ यूरेनियम संवर्धन सुविधा, तेहरान के पास सेंट्रीफ्यूज कार्यशालाओं और इस्फहान में प्रयोगशालाओं को निशाना बनाया है।
लेकिन, IAEA के प्रमुख ने चेतावनी दी है कि “परमाणु सुविधाओं पर हमला कभी नहीं किया जाना चाहिए”।
मानवीय प्रभाव और हताहत
इस संघर्ष में अब तक सैकड़ों लोग मारे गए हैं।
वाशिंगटन स्थित मानवाधिकार कार्यकर्ता समूह के अनुसार, इज़राइल के हमलों में कम से कम 722 लोग मारे गए हैं, जिनमें 285 नागरिक शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, 2,500 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
दूसरी ओर, ईरान के हमलों में इज़राइल में कम से कम 24 लोग मारे गए हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं।
नागरिकों पर प्रभाव
इस युद्ध का आम नागरिकों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।
वास्तव में, ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता हुसैन केरमनपुर के अनुसार, घायलों में 90% से अधिक नागरिक हैं, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
इसके अलावा, तेहरान में कई निवासी सुरक्षित क्षेत्रों की ओर पलायन कर रहे हैं, जबकि इज़राइल में हवाई हमले के सायरन लगातार बज रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और कूटनीतिक प्रयास
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस संघर्ष पर चिंता व्यक्त की है और तत्काल डी-एस्केलेशन का आह्वान किया है।
विशेष रूप से, अरब लीग परिषद ने एक बयान जारी करके इज़राइल की कार्रवाई की निंदा की है,
जिसे “अंतरराष्ट्रीय कानून का स्पष्ट उल्लंघन और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा” बताया गया है।
इसके अतिरिक्त, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है
कि मॉस्को इज़राइल और ईरान दोनों के साथ संकट को समाप्त करने के लिए प्रस्ताव साझा कर रहा है।
अमेरिका की भूमिका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि वह अगले दो हफ्तों में यह तय करेंगे कि
क्या अमेरिका इज़राइल के अभियान में शामिल होगा।
वास्तव में, ट्रम्प ने ईरान को चेतावनी दी है कि अगर वह अमेरिका पर हमला करता है, तो
“अमेरिकी सशस्त्र बलों की पूरी ताकत और शक्ति आप पर आएगी”।
इसके अलावा, व्हाइट हाउस प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा है कि ट्रम्प ईरान के साथ एक कूटनीतिक समाधान में रुचि रखते हैं,
लेकिन उनकी शीर्ष प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि ईरान परमाणु हथियार प्राप्त न कर सके।
वैश्विक प्रभाव और आर्थिक परिणाम
इज़राइल-ईरान संघर्ष का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
विशेष रूप से, तेल की कीमतें बढ़ गई हैं, जो $76.45 प्रति बैरल तक पहुंच गई हैं।
इसके अलावा, वाणिज्यिक एयरलाइंस को भारी नुकसान हो रहा है,
क्योंकि कई एयरलाइंस ने क्षेत्र में अपनी सेवाएं निलंबित कर दी हैं।
इसके अतिरिक्त, होरमुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरने वाले दुनिया के 20% तेल की आपूर्ति भी खतरे में है।
क्षेत्रीय स्थिरता पर प्रभाव
इस संघर्ष ने मध्य पूर्व में शक्ति संतुलन को बदल दिया है।
वास्तव में, ईरान और इसके क्षेत्रीय सहयोगी नेटवर्क “एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस” गंभीर रूप से कमजोर हो गए हैं।
इसके अलावा, हमास और हिज़्बुल्लाह हार नहीं गए हैं,
लेकिन इज़राइल पर हमला करने की उनकी क्षमता अब बहुत सीमित है।
इसके अतिरिक्त, सीरिया में असद शासन, जो ईरान का एकमात्र राज्य सहयोगी था, दिसंबर 2024 में पतन हो गया।
भविष्य की संभावनाएं
इस संघर्ष का भविष्य अनिश्चित है, लेकिन कूटनीतिक प्रयास जारी हैं। वास्तव में,
अमेरिकी और यूरोपीय राजनयिकों के अनुसार, अगले दो हफ्तों में कूटनीति के पास “आखिरी मौका” होगा।
इसके अलावा, इज़राइल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि
इज़राइल का सैन्य अभियान “जितना समय लगेगा” उतना जारी रहेगा।
लेकिन, नेतन्याहू का लक्ष्य अमेरिकी मदद के बिना पूरा नहीं हो सकता।
परमाणु तनाव का समाधान
इस संघर्ष का समाधान ईरान के परमाणु कार्यक्रम के भविष्य पर निर्भर करता है।
वास्तव में, ट्रम्प प्रशासन ने कहा है कि किसी भी समझौते में यूरेनियम संवर्धन पर प्रतिबंध और ईरान की परमाणु हथियार प्राप्त करने की क्षमता को समाप्त करना शामिल होना चाहिए।
इसके अलावा, 18 अक्टूबर, 2025 विश्व शक्तियों के लिए स्नैपबैक तंत्र को सक्रिय करने का अंतिम अवसर होगा,
जिससे JCPOA समझौते में उठाए गए सभी प्रतिबंध वापस आ जाएंगे।
निष्कर्ष
इज़राइल-ईरान संघर्ष एक जटिल और बहुआयामी संकट है, जिसके वैश्विक निहितार्थ हैं।
इस संघर्ष ने न केवल दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ाया है,
बल्कि पूरे मध्य पूर्व में अस्थिरता पैदा की है।
इसके अलावा, इसने परमाणु प्रसार और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में गंभीर चिंताएं उठाई हैं।
अंत में, इस संघर्ष का समाधान कूटनीति और संयम पर निर्भर करेगा, न कि सैन्य कार्रवाई पर।
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